ठहराव








 


खामोश है नज़रें मेरी
मन में सैलाब उठा
खुशियों के माहौल में है
बेचैनी का साया मंडराया

नादान सी बातों में भी
छिपे राज़ है ढूंढे
ना जाने क्यों मैंने
अपने घाव ही कुरेदे

जब कान्धे पर हाथ तुम्हारा पाया
एक ठहराव सा आया
थम से गए वोह आँधियों के बादल
उठ गया ग़मों का साया

लडखडाते क़दमों को मिला एक साहारा
ज़िन्दगी की कश्ती को मिल गया किनारा
धूप की किरण है आयी
एक ठहराव सा है आया

- मयुरा (१८ अगस्त २०१३ )

Image : http://neooki23.deviantart.com/art/Kauai-Calm-After-The-Storm-245741604

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